Dev Anand : इस वजह से अधुरी रह गयी थी देव आनंद की पहली मोहब्बत

Dev Anand

आज की कहानी उस सितारे की जिसके काले कोट पहनने पर बैन था…. उनके इस काले कोट ने ना जाने कितनी लड़कियों कि जान तक ले ली…… Dev Anand साहब के बहुत से किस्से मशहूर थे लेकिन देव आनंद की ज़िन्दगी से जुड़ा सबसे मशहुर और दिलचस्प  या कह लीजिये की थोड़ा सा अजीब किस्सा उनके काले कोट से जुड़ा है…….. Dev Anand अपने काले कोट की वजह से काफी limelight  में रहते थे… और सिर्फ  इतना ही नहीं ,.. दरअसल उनके काले कोट पहनने की वजह से कई लड़कियों ने suicide तक कर लिया था ….  देव साहब की popularity का आलम कुछ ऐसा था इनके काले कोट पहनने पर बन तक लग गया.

Dev Anand का असली नाम धर्मदेव पिशोरीमल आनंद था। हिंदी सिनेमा में काम करने और एक्टर बनने के लिए देव साहब ने बड़ा संघर्ष किआ…… देव आनंद जब मुंबई पहुंचे तब उनके पास मात्र ३० रुपया थे ……. 1943  में अपने सपनो को साकार करने के लिए देव आनंद मुंबई पहुंचे, ”रहने के लिए ठिकाना नहीं था , खाने को खाना खाना नहीं था ” सस्ते से होटल में काफी दिन बिताये फिर उन्होंने सोचा की  यहाँ रहने के लिए नौकरी करनी पड़ेगी उसके बाद उन्हें miltary sensor office में सैनिको की चिठियो को उनके घर वालो को पढ़कर सुनना पड़ता था. ये नौकरी करने के बाद उन्हें मात्र 165 रुपया मासिक वेतन मिलता था .

यूं तो बहुत एक्टर आए  लेकिन Dev Anand की एक्टिंग के अंदाज ने उन्हें हमेशा सितारों की भीड़ से अलग रखा, उनका एक सांस में लम्बी डायलॉग डिलीवरी करना या उनका एक तरफ झुक कर चलने का उनका खास स्टाइल… लोगों पर सालों तक जादू के जैसे छाया रहा….. रोल कोई भी हो Dev Anand का अंदाज़ कभी भी नहीं बदला… लेकिन उनके इस फिल्मी सफर की शुरुवात कुछ खास नही रही थी….. देव साहब को पहला मौका 1946 में मिला…… लेकिन उनकी ये फिल्म फ्लाप रही और ये सितारा अभी भी गुमनाम ही रहा.

इसके बाद फिल्म ”ZIDDI ” Dev Anand के कर्रिएर की पहली हिट फिल्म रही और इस फिल्म की कामयाबी के बाद उन्होंने नवकेतन कंपनी की शुरुवात की…… लेकिन देव आनंद को जिस सफलता की चाहत थी वो उन्हे फिल्म बाज़ी से मिली.

फिल्मो में हिरोइन को बचाने वाले देव आनंद की लव स्टोरी भी काफी फिल्मी थी…. उनका ये इश्क अधुरा था लेकिन बेहद खूबसूरत था…. उनको पहला प्यार हुआ सुरों की रानी सुरैया से….. फिल्म विद्या की शूटिंग के दौरान सुरैया पानी में डूब रही थी और देव साहब ने अपनी जान पर खेल कर उन्हे बचाया था और यहीं से इस प्रेम कहानी की शुरूआत हुई, फिल्म जीत के सेट पर देव साहब ने सुरैया को हीरे की अंगूठी के साथ प्रपोज भी किया. लेकिन उनकी इस प्रेम कहानी की विलेन बनी सुरैया की नानी, जिन्हें ये रिश्ता बिलकुल मंजूर नहीं था, वजह थी दोनों के धर्म, देव आनंद हिंदू थे और सुरैया मुस्लिम.  नानी और घरवालों की नामंजूरी की वजह से सुरैया ने देव आनंद से शादी के लिए मना कर दिया और दोनों का प्यार परवान चढ़ने से पहले ही दोनों की मोहब्बत अधूरी रह गई.

देव आनंद सिनेमाई पर्दे के वो बेमिसाल जादूगर थे जिन्होनें मुंबई की रंग बिरंगी दुनिया की माया कायम रखी. सदाबहार या एवरग्रीन जैसे उनके नाम के साथ ही जुड़ गया था. एक बार देव साहब ने कहा था, ‘मैं सिनेमा में सोता हूं, सिनेमा में जागता हूं और सिनेमा ही मेरी जिंदगी है. मैं मरते दम तक सिनेमा की वजह से ही जवान रहूंगा.‘ वे इसे साबित भी कर गए. उनके स्टारडम की कहानी भले ही ब्लैक एंड व्हाइट के दौर में शुरू हुई लेकिन उनकी ज़िंदगी में रंगों की कमी कभी नहीं रही।

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